दग़ा के तीर आते ख़ूब आज़म नहीं आते वफ़ा के गुल इधर है। दग़ा के तीर आते ख़ूब आज़म नहीं आते वफ़ा के गुल इधर है।
उसको नहीं मेरा अब इंतजार है! अब भूलना उसको दिल से ही यार है. उसको नहीं मेरा अब इंतजार है! अब भूलना उसको दिल से ही यार है.
रिश्ते में तो हम, आपके मीत है। रिश्ते में तो हम, आपके मीत है।
दे आया हूँ उसे उल्फ़त का गुलाब प्यारे। दे आया हूँ उसे उल्फ़त का गुलाब प्यारे।
अब नहीं तेरा उसको ही इंतिजार है तू भुला दे उसे दिल से अब यार है. अब नहीं तेरा उसको ही इंतिजार है तू भुला दे उसे दिल से अब यार है.
रोज़ उसके चेहरे पे नज़ाकत रही! अब नहीं उसको मुझसे मुहब्बत रही. रोज़ उसके चेहरे पे नज़ाकत रही! अब नहीं उसको मुझसे मुहब्बत रही.